BEd vs BTC New Update: बीएड को प्राथमिक में शामिल करने के लिए बीएड वाले ही बन गए बीएड के दुश्मन, SC में पहुँचा मामला

BEd vs BTC New Update: बीएड को प्राथमिक में शामिल करने के लिए बीएड वाले ही बन गए बीएड के दुश्मन, SC में पहुँचा मामला। 11 अगस्त के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से बीएड डिग्रीधारियों में काफी निराशा छायी हुई है। और आपको पता होगा कि बिहार में हुई शिक्षक भर्ती से भी बीएड पूरी तरह प्राथमिक भर्ती से बाहर हो चुका है।

जिसके लिए कुछ याचिका भी डाली गयी थी जोकि अब सुप्रीम कोर्ट में जाती दिख रही है। आपको बता दें यह याचिका पूर्व में बीएड अभ्यर्थियों का उदाहरण लेकर दायर की गयी है। जिसकी पूरी जानकारी आपको आगे इसी पोस्ट में प्रदान की गयी है। अतः यदि आपको इस जानकारी से अवगत होना है तो पोस्ट को पूरा पढ़ें।

पटना हाई कोर्ट में बिहार सरकार की याचिका ख़ारिज (BEd vs BTC New Update)

BEd vs BTC New Update. बिहार में करीब 80 हज़ार पदों पर शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया जारी है। जिसके लिए परीक्षा भी ली जा चुकी हैं। किन्तु मुद्दा यह है कि जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने बीएड को बाहर किया उसी हिसाब से हर जगह से बीएड बाहर हो चुका है। आपको बता दें कि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

किन्तु बिहार की नितीश सरकार के हाथ निराशा ही लगी क्योंकि हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही सर्वमान्य किया। कोर्ट में याचिका और भी कई लोगों तथा संघों के द्वारा दायर की गयी थी जिसमें बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपांकर गौरव तथा मीकू पाल ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ अपनी दलील पेश की और पूरा मामला बताते हुए बीएड की प्राथमिक में योग्यता बहाल करने पर जोर दिया।

बीएड ही बने बीएड के दुश्मन मुद्दा पहुँचा सुप्रीम कोर्ट

आपको बताते चलें कि बहुत से बीएड अभ्यर्थियों ने कोर्ट पर कहा कि जब पिछली भर्तियों में बीएड अभ्यर्थियों को शिक्षक भर्ती में मौका दिया गया तो अब अचानक बीएड अभ्यर्थी अयोग्य कैसे हो गए। अगर इसपर बात करें तो एक पॉइंट तक ये सही बात है किन्तु इसका गलत असर भी हो सकता है।

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क्योंकि अब यह फैसला पुनः सुप्रीम कोर्ट में जा चुका है। जिसकी अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होनी है। ऐसे में यदि पुरानी भर्तियों में बीएड की नियुक्ति को लेकर सवाल होता है तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछली भर्तियों पर भी जाँच अथवा अन्य एक्शन करने के आदेश दिए जा सकते हैं। अब देखना यह है कि 20 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई में क्या फैसला आता है।

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