Rajasthan High Court: भर्ती प्रक्रिया के दौरान महिलाओं के छाती की माप लेने को हाई कोर्ट बताया अपमानजनक

Taking women’s chest measurement in recruitment process is humiliating: सरकारी नौकरी पाने के लिए अभ्यर्थी कड़ी मेहनत करते हैं। कुछ नौकरियाँ जैसे पुलिस, आर्मी, वन रक्षक आदि विभाग की नौकरी के लिए अभ्यर्थियों का शारीरिक परिक्षण भी लिया जाता है। यही पूरी प्रक्रिया महिलाओं के लिए भी लागू होती है। परन्तु हाल ही में राजस्थान हाई कोर्ट की तरफ से एक खास फैसला लिया गया जोकि महिलाओं के सम्मान के लिए है।

छाती की माप के अलावा खोजे दूसरा रास्ता

आपको बताते चलें कि राजस्थान में वन रक्षक भर्ती में शारीरिक परिक्षण के फेफड़ों की क्षमता मापन में असफल हुई कुछ महिलाओं ने कोर्ट में अर्जी डाली थी। जिसके बाद हाई कोर्ट के जस्टिस दिनेश मेहता ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान शारीरिक परिक्षण में महिलाओं के फेफड़ों की क्षमता की जाँच करने का मानदंड हटाया जाना चाहिए। यह एक अपमानजनक मानदंड है।

यह संविधान के अनुच्छेद 14 तथा 21 के अनुसार महिलाओं की गरिमा तथा निजता को ठेस पहुँचाता है। अतः चयन आयोग इस मापन विधि को हटाकर कोई वैकल्पिक विधि का प्रयोग करे। जिससे महिलाओं को अपमान से बचाया जा सके ताकि उनकी गरिमा बनी रहे।

हाई कोर्ट ने महिलाओं को अयोग्य घोषित

राजस्थान हाई कोर्ट के जज दिनेश मेहता ने आयोग के अधिकारियों को यह मापदंड हटाने के लिए कहा लेकिन महिलाओं द्वारा दी गयी अर्जी को ख़ारिज करते हुए उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा महिलाओं के लिए इस माप को हटाने के लिए जो कदम उठाया गया है वह महिलाओं के सम्मान के प्रति गरिमा बनाये रखने का पाठ सिखाती है।

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