BED vs BTC 2024: प्राथमिक में बीएड की योग्यता पर आधिकारिक अपडेट, शिक्षक विभाजन श्रेणी के अंतर्गत बनेंगे प्राइमरी टीचर

BED vs BTC 2024: बीएड बनाम बीटीसी मामले को लेकर काफ़ी चर्चाएँ हो रहीं हैं। जिसमें तरह तरह की बारे की जा रही हैं। आपको बता दें पिछले साल 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बीटीसी के पक्ष में एक फ़ैसला सुनाया था जिसमें बीएड को प्राथमिक से बाहर करने के आदेश दिये गये थे। जिसके बाद से ही दोनों पक्षों में मतभेद तथा लड़ाइयाँ बढ़ती जा रही है।

किंतु इसी बीच एक और खबर सुनने को मिल रही है जिससे बीएड अभ्यर्थियों को थोड़ा सुकून मिल सकता है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जब फ़ैसला सुनाया था तब कहा था कि यदि कोई राज्य चाहे तो वह बीएड डिग्री धारियों को प्राथमिक में शामिल कर सकता है। इसी को लेकर एक बात कही जा रही है

यूपी में बीएड वाले भी बनेंगे प्राथमिक में मास्टर (BED vs BTC 2024)

दरअसल बता दें कि एक रिपोर्ट में यह देखने को मिला कि उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में बीएड अभ्यर्थियों को भी प्राथमिक में शिक्षक बनाने के विचार में है। और वह आगामी भर्ती में उन्हें मौक़ा दे सकती है। हालाँकि सरकार द्वारा अभी इसपर कोई जानकारी नहीं दी गई है। अब बात करें कि क्या ऐसा हो सकता है। क्या सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को सरकार अनसुना करेगी?

ऐसे बहुत से सवालों का सिर्फ़ एक ही जवाब है जोकि है नहीं। आपको बता दें कि यदि सरकार चाहे तो वह बीएड को योग्यता दे सकती है किंतु इससे सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फ़ैसले को चुनौती के रूप में लिया जा सकता है। जिसके बाद काफ़ी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है। आपको बता दें सरकार वैधानिक रूप से बीएड को प्राथमिक में लाने के लिए कार्य कर रही है।

चुनाव को देखते हुए हो सकता है बड़ा फ़ैसला

आपको बता दें 2024 में अर्थात् इसी साल लोकसभा चुनाव भी होना है। जिसमें सभी राजनैतिक पार्टियाँ बड़े बड़े दावे करती हुई नज़र आ सकती हैं। इससे यह भी सकता है कि बीएड को प्राथमिक में योग्यता देने संबंधित मुद्दा हो सकता है। क्योंकि शिक्षक भर्ती तथा बीएड को प्राथमिक में मौक़ा यह दोनों इस बार के बड़े मुद्दे होंगे।

अब देखना है कि सरकार द्वारा बीएड के लिये योग्यता वापस दिलाने में क्या क्या कदम उठाये जा सकते हैं। क्योंकि यह लाखों युवाओं के करियर का सवाल है। सरकार ने कई बार दावा किया है कि यूपी सरकार युवाओं को रोज़गार देने के लिए प्रतिबद्ध है। अब देखते हैं सरकार अपनी प्रतिबद्धता कहाँ तक सिद्ध कर पाती है

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