Super TET for BEd 2024: यूपी प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बीएड को दी खुशखबरी, 35000 बीएड अभ्यर्थियों को मिली राहत

Super TET for BEd 2024: उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों की बात करें तो हाल ही में हुई कई भर्ती परीक्षाएं पेपर लीक होने की वजह से रद्द कर दी गई हैं। हालांकि इन परीक्षाओं को पुनः करवाने के लिए राज्य सरकार द्वारा आदेश दिया गया है। लेकिन तमाम भर्तियों के साथ एक बड़ी भर्ती जोकि प्राथमिक शिक्षक भर्ती है इसपर कोई भी सूचना आधिकारिक तौर पर नहीं मिल रही है कि भर्ती कब तक जारी की जायेगी। लेकिन आपके लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। जिसमे सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीएड के लिए एक बार पुनः बड़ा कदम उठाया गया है। क्या है पूरी खबर आगे पूरी जानकारी देखिए।

बीएड शिक्षकों पर सुप्रीम कोर्ट का फरमान (Super TET for BEd 2024)

जैसा कि आपको पता ही होगा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 11 अगस्त 2023 को बीएड बनाम बीटीसी मामले में बहुत बड़ा फैसला सुनाया था। जिसके बाद से समस्त बीएड अभ्यर्थी चिंता में हैं। आपको बता दें कि सिर्फ आगामी भर्ती के लिए ही बीएड अभ्यर्थी चिंतित नहीं हैं अपितु पुरानी भर्तियों में चयनित बीएड अभ्यर्थी भी काफी परेशान थे।

क्योंकि 2019 में आई सुपर टेट में 69000 पदों पर जो भर्ती हुई थी उसमे बीएड अभ्यर्थियों की संख्या करीब 35000 थी। एनसीटीई द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद भी एनसीटीई ने इन्हे अभी तक 6 माह का ब्रिज कोर्स नही करवाया है। जिसके चलते इन्हे अपनी नौकरी गंवाने का भय सता रहा था। अब इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनः एक फैसला सुनाया है।

2023 से पहले चयनित बीएड के लिए बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठाया गया कि 69000 शिक्षक भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों में बीएड की संख्या करीब 35000 है जिनके पास ब्रिज कोर्स नही है और 11 अगस्त 2023 को ऐसे बीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिक में शिक्षक बनने के योग्य नहीं माना जायेगा ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन 35000 अभ्यर्थियों के पक्ष में बड़ा कदम उठाते हुए खुशखबरी दे दी है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 11 अगस्त 2023 से पहले चयनित हुए बीएड अभ्यर्थियों की नौकरी सुरक्षित हैं उन्हें इससे कोई खतरा नहीं है। इस फैसले से इतना तो क्लियर हो गया कि बीएड अभ्यर्थी नौकरी करते रहेंगे किंतु ब्रिज कोर्स की जरूरत होगी अथवा नहीं। इसके बारे में कोर्ट ने कुछ नहीं कहा।

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