BED vs DELED Big Breaking: बीएड के बाद बीटीसी को भी सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती से किया बाहर, हाई कोर्ट के फैसले गलत बताया। देश में करोड़ों युवा अपने करियर में अध्यापक बनने का सपना संजोये हुए तैयारियों में जुटे हुए हैं। कुछ समय पहले तक इसी भीड़ में बीएड के अभ्यर्थी भी शामिल थे किन्तु सुप्रीम कोर्ट के 11 अगस्त को सुनाये गए फैसले के बाद से बीएड डिग्रीधारियों के सपनों के पँखों को काटने जैसा प्रतीत होने लगा था।
सुप्रीम कोर्ट के बीएड को प्राथमिक से बाहर करने के फैसले के कुछ ही महीनों बाद 28 नवम्बर को एक और फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाया गया इस बार मामला शिक्षक भर्ती का ही था लेकिन सपना टूटा बीटीसी अभ्यर्थियों का। क्या है पूरा मामला इस सम्बन्ध में आगे पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे तो इस लेख में अंत तक बने रहिये।
बीएड के बाद अब डीएलएड भी शिक्षक भर्ती से बाहर
आपको बता दें यह मामला उत्तराखण्ड हाई कोर्ट द्वारा होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा है। इस खबर को विस्तृत जाने तो आपको बता दें कि NIOS राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षण संस्थान द्वारा भी डीएलएड का डिप्लोमा कोर्स करवाया जाता है। बस इसमें फर्क यह है कि इसका Duration 18 माह का होता है वहीं उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने इसे 2 वर्षीय डीएलएड कोर्स के समकक्ष बताते हुए शिक्षक भर्ती के योग्य माना था।
किन्तु हाई कोर्ट के इस फैसले का विरोध करते हुए राज्य सरकार द्वारा इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला हाई कोर्ट के फैसले के विरुद्ध सुनाया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 18 माह का डीएलएड किसी भी स्थिति में 2 वर्षीय डिप्लोमा के बराबर नहीं हो सकता। अतः NIOS से DELED करने वालों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती के योग्य नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट जस्टिस द्वारा आदेश जारी
28 नवंबर 2023 दिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के जज प्रशांत कुमार मिश्रा तथा बी. आर. जी. की पीठ की तरफ से उत्तराखण्ड सरकार के पक्ष में फैसला सुनते हुए नैनीताल हाई कोर्ट को फटकार लगायी गयी है। जजों द्वारा कहा गया कि हाई कोर्ट द्वारा NIOS को शिक्षक भर्ती में शामिल करने का फैसला बिलकुल गलत है। अब देखना होगा इस फैसले के बाद से NCTE द्वारा NIOS प्रशिक्षुओं के लिए क्या नियम बनाये जाते हैं जिससे उन्हें योग्य बनाया जा सके।