Shiksha Mitra: प्रदेश में शिक्षा मित्रों का है बुरा हाल, समस्या सुनने से विभाग ने किया इनकार

Shiksha Mitra: प्रदेश में शिक्षा मित्रों का है बुरा हाल, समस्या सुनने से विभाग ने किया इनकार। प्रदेश भर में करीब 267 शिक्षा मित्र इन दिनों अपनी बदहाली से परेशान विभाग व सरकार से गुहार लगा रहे हैं किन्तु कोई भी इनकी समस्या सुनने को तैयार नहीं है। आपको बता दें कि यह मामला विकास खण्ड मेजा का है जहाँ पर 75 परिषदीय स्कूलों में करीब 150 तथा उरुवा विकास खण्ड के 117 शिक्षा मित्रों की समस्या है।

विभाग तथा सरकार समस्या को कर रही नज़रअंदाज़

शिक्षक नेता राजेश मिश्रा का कहना है कि शिक्षा मित्रो की समस्या को विभाग तथा सरकार के सामने रखा गया लेकिन कोई भी इनकी समस्याओं पर अमल नहीं कर रहा। आपको बताते चलें शिक्षा मित्रों को मिलने वाले मानदेय पर शिक्षा मित्र परेशान हैं। उनका कहना है कि सभी शिक्षा मित्र वह सभी कार्य कर रहे हैं जो एक शिक्षक करता है। लेकिन विभाग उनको बहुत कम मानदेय देता है जिससे उनका गुजर बसर मुश्किल होता जा रहा है।

आपको पता होगा कि 2007 में बहुजन समाज पार्टी की सरकार प्रदेश में आने के बाद मुख्यमंत्री मायावती ने लगभग 1 लाख 24 हज़ार शिक्षा मित्रों को NCTE द्वारा दूरस्थ शिक्षा माध्यम से प्रशिक्षित करवाया था। हालाँकि 2012 में BSP की सरकार चली गयी और समाजवादी पार्टी की सरकार बानी जिसके मुख्यम्नत्री बने अखिलेश यादव।

अखिलेश यादव ने प्रदेश के शिक्षा मित्रों को स्थायी शिक्षक की मान्यता देते हुए शिक्षक के पदों पर नियुक्ति दिलाई। किन्तु यह फैसला जोकि यूपी सरकार ने लिया था उसको हाई कोर्ट ने न मानते हुए पुनः शिक्षा मित्रों को पुरानी जगह भेज दिया। बाद में यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में भी गया किन्तु अखिलेश सरकार के पास पुख्ता पैरवी नहीं कर सकी और शिक्षा मित्रों को निराशा मिली।

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