BEd vs BTC: बीएड बीटीसी पर लखनऊ हाई कोर्ट ने 21 सितम्बर को सुनाया अपना फैसला, यूपी विभाग को सौंपी जिम्मेदारी। यूपी में पिछले काफी लम्बे समय से चल रहे बीएड बनाम बीटीसी विवाद पर लखनऊ के उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है। आपको पता होगा की बीएड तथा बीटीसी वालों की जो 69000 पदों पर भर्ती हुई थी उसका मामला कोर्ट में पेंडिंग था।
कल 21 सितम्बर 2023 को हाई कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला दिया। जिसके बाद से अभ्यर्थियों में ख़ुशी तथा गम दोनों देखने को मिल सकता है। उच्च न्यायालय ने क्या फैसला दिया है इसके बारे में आगे विस्तार से चर्चा करेंगे। तो चलिए बिना समय व्यर्थ किये लखनऊ हाई कोर्ट के फैसले की जानकारी प्राप्त करते हैं।
हाई कोर्ट ने बीएड बनाम बीटीसी मामले पर दिया फैसला
साल 2018 में प्राथमिक शिक्षक भर्ती जोकि 69000 पदों पर जारी हुई थी। जिसके बाद बीएड के करीब 20 हज़ार अभ्यर्थियों को इसमें मौका मिला था। NCTE द्वारा बीएड अभ्यर्थियों को बिना ब्रिज कोर्स कराये नियुक्ति दिए जाने पर काफी विरोध हो रहा था जिसके बाद यह मामला हाई कोर्ट में चला गया।
अब बीते कल 21 सितम्बर को हाई कोर्ट में इसपर सुनवाई हुई जिसके बाद हाई कोर्ट द्वारा एक आर्डर जारी किया गया जिसमे यूपी के सम्बन्धित विभाग को कहा गया कि जल्द से जल्द विभाग आवश्यक संशोधन करें ताकि भविष्य में किसी प्रकार की कमियों से बचा जा सके। और आपको बता दें कि यूपी विभाग द्वारा इस जजमेंट को स्वीकार कर लिया गया है।
यूपी विभाग करेगा आवश्यक संशोधन
अब जब यह फैसला यूपी विभाग को सौंप दिया गया है तो आगामी जितने भी बदलाव देखने को मिलेंगे वह निश्चित तौर पर विभाग द्वारा किये होंगे। अब देखना यह होगा की सम्बंधित विभाग द्वारा कौन कौन सी त्रुटियों को संशोधित किया जायेगा। किन्तु यदि विभाग पुनः बीएड वालों का मूल्याङ्कन करता है तो इससे बीएड वालों को समस्या भी सकती है।
क्योंकि बीएड के वालों द्वारा काफी समय से पुनः मूल्याङ्कन को लेकर धरना चल रहा है। उनका कहना है कि उनके साथ अन्याय हुआ है और बेसिक शिक्षक विभाग को पुनः मूल्याङ्कन करना चाहिए। अब यदि मूल्याङ्कन होता है तो हो सकता कुछ चयनित अभ्यर्थी बाहर हो जाएँ तथा कुछ नए लोगों की नियुक्ति की जाये। हालाँकि इसकी पुष्टि आधिकारिक नोटिस होगी।